– कलाकारों को सरकार दे सहारा तो लुप्त नहीं होगी कोई कला
हनुमानगढ़। राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए जहां राजस्थानी हेताळू आंदोलन कर रहे हैं वहीं राजस्थानी कॉमेडियन्स ने सोशल मीडिया पर राजस्थानी मनोरंजन को घर-घर तक पहुंचाया है। निकटवर्ती पंजाब राज्य के फाजिल्का के गांव झूमियांवाली के कलाकार माइकल करड़वाल बागड़ी बोली में कॉमेडी बनाकर इस आंदोलन को मजबूत कर रहे हैं। माइकल करड़वाल खेती किसानी, तीज त्यौहार, गांव, चौपाल से लेकर खेल, राजनीति आदि सम सामयिक विषयों पर ठेट राजस्थानी में कॉमेडी करते हैं। साथियों ने बागड़ी के बजाय हिंदी में कॉमेडी करने की सलाह दी ताकि ज्यादा व्यूज और पहचान मिल सके। पर माइकल ने राजस्थानी में ही कॉमेडी करते रहने की ठानी। इनका मानना है कि जिस मा बोली ने उनको पहचान दिलवाई उसी में काम करके पूरी दुनिया तक यह बात पहुंचानी है कि मातृभाषा से बढक़र कुछ नहीं होता। घर की जिम्मेदारियों के कारण पढ़ाई बीच में छूट गई। माइकल चित्रकार भी हैं। माइकल दिहाड़ी मजदूरी कर अपना पेट पालते हैं। समय मिलता है तब कला से जुड़ते हैं। वे बताते हैं कि बहुत परेशानियों का सामना करते हुए इस मुकाम तक पहुंचे हैं। सोशल मीडिया पर फेसबुक, इंस्टाग्राम पर तकड़ी कॉमेडी के नाम से पेज व चैनल बना रखा है जहां हजारों फोलोवर जुड़े हैं। वे काका और भतीजे दोनों का रोल खुद करते हैं। आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी के संयोजक हरीश हैरी ने बताया कि राजस्थानी की एक महत्वपूर्ण बोली बागड़ी तीन राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में फैली हुई है। कुछ लोग इसे हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर की बोली बताकर खुद को बॉर्डर तक सीमित कर लेते हैं। परन्तु भाषा की कोई बॉर्डर नहीं होती। भाषा परछाई की तरह होती है जो धीरे-धीरे ओझल होती है। माइकल करड़वाल जमीनी कॉमेडी से आम आदमी के दिल में बसे हैं।
राजस्थानी भाषा मान्यता की पूरी हकदार, करोड़ों युवाओं को मिलेगा रोजगार
- Naad News
- November 3, 2023
- 1:20 pm
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